कर्म / धर्म
कर्म और धर्म कभी विपरीत नहीं होते।
जैसे किये जाते हैं वैसे ही फलित होते हैं।
मुनि श्री अजितसागर जी
(इनके एक से स्वभाव हैं, इसलिये कर्म धर्ममय होने चाहिये)
चिंतन
कर्म और धर्म कभी विपरीत नहीं होते।
जैसे किये जाते हैं वैसे ही फलित होते हैं।
मुनि श्री अजितसागर जी
(इनके एक से स्वभाव हैं, इसलिये कर्म धर्ममय होने चाहिये)
चिंतन
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2 Responses
मुनि श्री अजितसागर महाराज जी का कर्म एवं धर्म का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कर्म धर्ममय होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
अच्छा जो भी कर्म है,
वो ही सच्चा धर्म।।
कर्म कीजिए धर्म से,
यह जीवन का मर्म।।