कर्म-भूमि में चौराहे/ भटकन होती है, इसीलिये माता/ पिता तथा गुरु की आवश्यकता होती है।
भोग-भूमि में नहीं, इसीलिये वहाँ माता/पिता बच्चे के पैदा होते ही मरण को प्राप्त हो जाते हैं तथा गुरु भी नहीं होते।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने कर्म, भोग भूमि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने कर्म, भोग भूमि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!