कर्म से संबंध

निष्ठुर जीव से ना प्रेम किया जाता है, ना ही द्वेष,
फ़िर निष्ठुर कर्म से रागद्वेष क्यों ?

श्री समयसार जी – पेज – 152

Share this on...

One Response

  1. जीव- – जो जानता है, देखता है उसे जीव कहते हैं या जिसमें चेतना है वह जीव हैं यह दो प्रकार के होते हैं संसारी और मुक्त जीव।
    कर्म- – जीव मन वचन काय के द्वारा कुछ न कुछ करता है वह सब उसकी क़िया या कर्म है।
    उक्त कथन सत्य है कि निष्ठुर जीव से न प्रेम किया जाता है,न द्वेष लेकिन फिर भी निष्ठुर कर्म से राग द्वेष क्यों, क्योंकि उसके कर्मों के कारण ही होते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

January 19, 2020

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930