इहभव और परभव के कल्याण के लिये….
कर्म-फल की परवाह करना,
(जैसे ये करने का क्या फल होगा,
ये ना करने का क्या फल होगा)
कर्मसिद्धांत की परवाह करना है ।
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कर्मसिद्धांत पर जो आस्था रखते हैं, वही अच्छे बुरे कामों का मूल्यांकन कर सकते हैैं और उसका फल प्राप्त करते हैं ।
कर्म इस भव एवम् पर भव के कल्याण के लिए होते हैं । आजकल, लोग भाग्य की बात करते हैं लेकिन भाग्य उनके कर्म पर ही आधारित होंगे ।
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कर्मसिद्धांत पर जो आस्था रखते हैं, वही अच्छे बुरे कामों का मूल्यांकन कर सकते हैैं और उसका फल प्राप्त करते हैं ।
कर्म इस भव एवम् पर भव के कल्याण के लिए होते हैं । आजकल, लोग भाग्य की बात करते हैं लेकिन भाग्य उनके कर्म पर ही आधारित होंगे ।