क्षुद्र भव

क्षुद्र भव = लब्धि-अपर्याप्तक (1 श्वास में 18 बार जन्म मरण)।
लगातार उत्कृष्ट जन्म – 2 इंद्रिय में – 80, 3 इंद्रिय में – 60, 4 इंद्रिय में – 40, 5 इंद्रिय में – 24 ( 8 तिर्यंच असंज्ञी + 8 तिर्यंच संज्ञी + 8 बार मनुष्य)।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी(जीवकांड-गाथा-124)

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3 Responses

    1. दो इंद्रिय में यदि कोई जीव लगातार लब्धि-अपर्याप्तक बन कर जन्म लेगा तो अधिक से अधिक 80 बार ले सकता है। फिर इस पर्याय को छोड़ना ही पड़ेगा।

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