गति/ठहराव
वादविवाद में अटकन है/ठहराव है,
भक्ति में गति ।
जिसके प्रति भक्ति की जायेगी, गति वहीं तक होगी जैसे दुकान के प्रति तो वहाँ तक, भगवान के प्रति तो मंदिर तक, रागी के प्रति तो उस व्यक्ति तक, असीम/वीतरागता के प्रति तो मोक्ष तक ।
चिंतन
वादविवाद में अटकन है/ठहराव है,
भक्ति में गति ।
जिसके प्रति भक्ति की जायेगी, गति वहीं तक होगी जैसे दुकान के प्रति तो वहाँ तक, भगवान के प्रति तो मंदिर तक, रागी के प्रति तो उस व्यक्ति तक, असीम/वीतरागता के प्रति तो मोक्ष तक ।
चिंतन
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One Response
Sahi hai. Aajkal hum sab gati ki baat karte hain, par vad-vivaad mein padkar ek jagah par hi thaher jaate hain. Hum jab tak apne ander aseem/veetragta ke prati bhakti nahin layenge, mokshamarg dur hai.