आजकल ज़्यादातर लोगों की धारणा है कि जिनके पास धन नहीं है, वही ग़रीब कहलाते हैं। साधुओं के पास कोई धन नहीं है, लेकिन उनकी वाणी से मनुष्यों को जीवन में जीने की कला बताते हैं, जो उनके संयम, त्याग, तपस्या से प्राप्त होता है। ग़रीब वह होते हैं, जिनके पास सदाचार,आचार, विचार या मानवता की भावना न हो। अतः उचित होगा कि जिसके पास धन न हो, उसको ग़रीब न समझें ।
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आजकल ज़्यादातर लोगों की धारणा है कि जिनके पास धन नहीं है, वही ग़रीब कहलाते हैं। साधुओं के पास कोई धन नहीं है, लेकिन उनकी वाणी से मनुष्यों को जीवन में जीने की कला बताते हैं, जो उनके संयम, त्याग, तपस्या से प्राप्त होता है। ग़रीब वह होते हैं, जिनके पास सदाचार,आचार, विचार या मानवता की भावना न हो। अतः उचित होगा कि जिसके पास धन न हो, उसको ग़रीब न समझें ।
Beautiful comment. Aaajkal ki “materialistic” duniya ke liye, jahan “dharm” ka mahaatva kam ho gaya hai, yeh bahut bada message hai.