गांठ पड़ते ही धागादि छोटे हो जाते हैं ।
मन में गांठ पड़ते ही मन भी छोटा (खोटा) हो जाता है ।
यदि गांठ पड़ ही गई है तो जल्द से जल्द खोल लो ताकि original स्थिति बन जाये ।
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यह कथन सत्य है कि गांठ पड़ते ही धागादि छोटे हो जाते हैं ,इसी प्रकार मन में गांठ पड़ते ही मन छोटा यानी खोटा हो जाता है। जीवन में मन में गांठ बनाने से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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यह कथन सत्य है कि गांठ पड़ते ही धागादि छोटे हो जाते हैं ,इसी प्रकार मन में गांठ पड़ते ही मन छोटा यानी खोटा हो जाता है। जीवन में मन में गांठ बनाने से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।