गुरु
गुरु दर्शन कठिन (चक्षु इन्द्रिय से)
गुरु आर्शीवाद दुर्लभ (कर्ण इन्द्रिय से)
गुरु वचन दुर्लभ से दुर्लभ (मन, कर्ण इन्द्रिय से)
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
गुरु दर्शन कठिन (चक्षु इन्द्रिय से)
गुरु आर्शीवाद दुर्लभ (कर्ण इन्द्रिय से)
गुरु वचन दुर्लभ से दुर्लभ (मन, कर्ण इन्द्रिय से)
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने गुरु की तुलना की गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए गुरु की तलाश करना परम आवश्यक है। जब तक गुरु नहीं मिल पाते हैं, तब तक गुरु को अपने हृदय में विराजमान करना परम आवश्यक है।