गृहस्थ / साधु
गृहस्थ और साधु में अंतर
गृहस्थ परिस्थितियों को अपने अनुसार बदलने का प्रयास करता रहता है। परिस्थितियां नित नयी बदलती रहती हैं; सो उसके अनुरूप हो नहीं पातीं और वह दु:खी होता रहता है।
साधु अपने को परिस्थितियों के अनुसार बदल लेता है। वह बदलाव को तप मानकर कर्म काटता है और ख़ुश रहता है।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि ग़हस्थ एवं साधु का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में साधु मोक्ष मार्ग पर चलते हैं, जीवन में सुख शांति बनाए रखने का प़यास करते हैं एवं विपति सहन करने की क्षमता बनाए रखते हैं? ग़हस्थ को साधु बनने के लिए बहुत बहुत पुरुषार्थ करना पड़ता है!