चक्रव्यूह

माता-पिता संसार में प्रवेश तो सिखाते हैं, निकलना जानते नहीं/जानकर सिखा नहीं सकते, मोहवश ।
सो गुरु से जोड़ दो, वे सिखा देंगे ।
वरना 8 कर्म रूपी योद्धा तुम्हारी संतान का नाश कर देंगे (संसार के चक्रव्यूह में)

मुनि श्री सुधासागर जी

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2 Responses

  1. संसार का तात्पर्य संसरण या आवागमन है,जिसका अर्थ परिभ्रमण या परिवर्तन है, अथवा कर्म के फलस्वरूप आत्मा का भवान्तर की प्राप्ति होती है। कर्म के वशीभूत जीव मनुष्य देव आदि चारों गतियों में परिभ्रमण करता है, यही संसार का चक्रव्यूह होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य संसार के चक्रव्यूह में घूमता रहता है, लेकिन निकलने के लिए गुरुओं का आश्रय लेना परम आवश्यक है।

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