चिड़िया की तलाश
चिड़िया की तलाश
मुनि क्षमा सागर जी को
समर्पित
एक चिड़िया
अब खोजती है उसे
जिसके कमरे में
उसने अपने बच्चे बड़े किये थे।
जब वो था,
तब वो सोचती थी
ये आदमी
यहाँ से चला जाये,
और
कहीं और जाकर जिये
ताकि मैं, और मेरा बच्चा
यहाँ सुकून से रह सकें।
अब वो आदमी
कहीं दूर चला गया है,
तो
अब वो
चिड़िया उदास है।
क्योंकि अब
उस पर
कोई गीत नहीं लिखता,
और
न कोई अब उसके लिए
तराने ही गुनगुनाता है।
अब उदासी ही
बस उसके आसपास है,
और अब बस ऐसे ही,
उसका जीवन
बीता जाता है।
वो चाहती है
वो फिर आये,
और उस पर
गीत लिखे..
जिसमें वो हो
उसका बच्चा हो
और आसमान
और एक नदी भी हो।
हों बहुत से पेड़, और घरोंदे
कुछ सीढ़ियां
कुछ कदम, कुछ पत्थर
एक देवता, कुछ पुजारी
और कुछ यति भी हों।
चिड़िया
मुझसे पूंछ नहीं पाती,
और मैं उससे कह नहीं पाता,
कि..
अब ये कमरा कभी नहीं भरेगा।
कि… इसकी धूल भी
अब कभी साफ नही होगी
क्योंकि
इसका देवता,
अब कभी न आने को
कहीं चला गया है।
– निःसंग बन्धु (ब्र. नीलेश भैया)