जन्माभिषेक के समय मूर्ति अप्रतिष्ठित होती है, फिर भी धोती दुपट्टे में ही अभिषेक करते हैं ताकि व्यवस्था/संस्कार बने रहें क्योंकि प्रतिष्ठित मूर्ति भी दिखने में तो एक सी ही दिखती है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
अभिषेक—-जिन प़तिमा के स्नपन या प़क्षालन को कहते हैं, इसका मूल उद्वेश्य अपने आत्मा परिणामो की निर्मलता है।
भगवान् के जन्म कल्याण के समय अभिषेक किया जाता है, उसको जन्माभिषेक कहते हैं।
अभिषेक शुद्व धोती दुपट्टे मे किया जाता है लेकिन जन्माभिषेक के समय मूर्ति प़तिष्ठित नही होती है लेकिन फिर भी धोती दुपट्टे मे ही किया जाता है क्योकि व्यवस्था और संस्कार कायम रह सके।
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अभिषेक—-जिन प़तिमा के स्नपन या प़क्षालन को कहते हैं, इसका मूल उद्वेश्य अपने आत्मा परिणामो की निर्मलता है।
भगवान् के जन्म कल्याण के समय अभिषेक किया जाता है, उसको जन्माभिषेक कहते हैं।
अभिषेक शुद्व धोती दुपट्टे मे किया जाता है लेकिन जन्माभिषेक के समय मूर्ति प़तिष्ठित नही होती है लेकिन फिर भी धोती दुपट्टे मे ही किया जाता है क्योकि व्यवस्था और संस्कार कायम रह सके।
I think some clarity is needed in the last line.
जन्माभिषेक और जिनबिंबाभिषेक में मूर्ति तो एक सी ही रहतीं हैं।
फिर एक में uniform नहीं होगी तो गलत message जायेगा न !
Okay.