जिनबिंब दर्शन से सम्यग्दर्शन देवों को नहीं क्योंकि जो भगवान के दर्शन साक्षात करते हैं उनको जिनबिंब से इतनी विशुद्धता नहीं हो पाती ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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जिनबिंब–जिनेन्द़ भगवान् की निरावरित और निर्विकार प़तिमा को कहते हैं।
सम्यग्दर्शन–सच्चे देव शास्त्र और गुरु के प़ति श्रद्वान करना होता है।अतः जिनबिंब के दर्शन से देवो को सम्यग्दर्शन नही होता है क्योकि वह भगवान् के साक्षात दर्शन कर सकते हैं लेकिन जिनबिंब के दर्शन से उतनी विशुद्वता नहीं हो पाती है।
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जिनबिंब–जिनेन्द़ भगवान् की निरावरित और निर्विकार प़तिमा को कहते हैं।
सम्यग्दर्शन–सच्चे देव शास्त्र और गुरु के प़ति श्रद्वान करना होता है।अतः जिनबिंब के दर्शन से देवो को सम्यग्दर्शन नही होता है क्योकि वह भगवान् के साक्षात दर्शन कर सकते हैं लेकिन जिनबिंब के दर्शन से उतनी विशुद्वता नहीं हो पाती है।