ज्ञान
ज्ञान कोहरे में चलने जैसा होता है, जितना बढ़ते जाओगे चीजें स्पष्ट होती जायेंगी, फिर भी अनंत अनदेखा रह जायेगा।
अन्य दर्शनों में अनदेखा ईश्वर पर छोड़ देते हैं पर जैन दर्शन में कहा- जानो/ विश्वास करो/ अनुभव में लाओ/ आचरण में उतारो।
जिस-जिस चीज को अन्य अच्छा कहते हैं, उसे जैन दर्शन विष मिश्रित पकवान कहता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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ज्ञान सच्चा वही है जो भगवान् के द्वारा बताए गए उपदेश व आगम में बताया गया है। अतः मुनि महाराज जी ने सत्य कहा कि अन्य धर्मों पर विश्वास न करते हुए, सिर्फ जैन दर्शन में कहा गया है कि जानो, विश्वास करो एवं अनुभव में लाकर आचरण में उतारना होगा ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।