तत्व सामान्य, बहुतों में एक सा, जैसे सोना आभूषणों में ।
द्रव्य सबमें अलग अलग जैसे एक-एक जीव, अनंत जीवों में ।
तत्व भावात्मक है, द्रव्य द्रव्यात्मक ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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द़व्य- – गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं या जो उत्पाद व्यय और ध़ौव्य से युक्त है उसे कहते हैं।
तत्त्व- – जिस वस्तु का जो भाव है वहीं तत्त्व है। अतः उक्त कथन सत्य है कि तत्त्व सामान्य, बहुतों में एक सा, जैसे सोना आभूषण में होता है जबकि द़व्य सबमें अलग अलग जैसे एक-एक जीव । अतः तत्त्व भावात्मक है और द़व्य द़व्यात्मक है।
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द़व्य- – गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं या जो उत्पाद व्यय और ध़ौव्य से युक्त है उसे कहते हैं।
तत्त्व- – जिस वस्तु का जो भाव है वहीं तत्त्व है। अतः उक्त कथन सत्य है कि तत्त्व सामान्य, बहुतों में एक सा, जैसे सोना आभूषण में होता है जबकि द़व्य सबमें अलग अलग जैसे एक-एक जीव । अतः तत्त्व भावात्मक है और द़व्य द़व्यात्मक है।