दया…….दु:ख न हो जाय/ दु:ख न देना।
करुणा… दु:ख में से निकालना।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने दया एवं करुणा की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में दया एवं करुणा के भाव रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। जैन धर्म में दया धर्म का मूल सिद्वांत है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने दया एवं करुणा की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में दया एवं करुणा के भाव रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। जैन धर्म में दया धर्म का मूल सिद्वांत है।
To kya ‘karuna’, ‘daya’ ki next stage hai ?
हाँ, next भी कह सकते हैं या दया का implementation.
Okay.