दान

“दान” शब्द का प्रयोग तो बहुत जगह होता है जैसे तुलादान, पर वह दान की श्रेणी में नहीं आयेगा।
ऐसे ही रक्तदान यह सहयोग/ करुणा में आयेगा, दान में नहीं। धर्म में इसका निषेध नहीं है।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने दान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए दान परम आवश्यक है। दान में भगवान् को विराजमान करना, मन्दिर बनबाना, आहार दान, उपकरण दान, औषधि दान करुणा दान आदि दान अवश्य करना परम आवश्यक है।

    1. पहले महापुरुषों को तुला में अनाज/ सोने आदि से तौल कर अनाज/ सोना दान किया जाता था। अब नेताओं को किया जाता है।

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