दिगंबरत्व / अचेलकत्व

दिगंबरत्व मुनियों के मूलगुणों में (21) तथा अचेलकत्व शेष गुणों (7) में।
दोनों का अर्थ एक सा होते हुए भी दिगंबरत्व बाह्य तथा अचेलकत्व अंतरंग(आसक्ति न होना)।

मुनि श्री मंगलसागर जी

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4 Responses

  1. मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने दिगम्बरत्व एवं अचेलकत्व को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

    1. दिगंबरत्व के साथ भावनात्मक अपरिग्रह/ दिगंबरत्व।

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