सुखाभास (सांसारिक/इंद्रिय सुखों को सुख मानना) की तरह दुखाभास भी होता है ।
दुखाभास =
1. दुखों को ओढ़ लेना
2. इच्छित वस्तु का ना मिलना
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जीवन में दुखाभास और सुखाभास सभी प्राणियों को होता है। अतः यह कथन सत्य है कि सुखाभास सांसारिक और इन्द्रियों को सुख मानना होता है लेकिन दुखाभास का मुख्य कारण दुखों को ओढ़ लेना और इच्छित वस्तु का नहीं मिलना। अतः दुःखी का कारण इच्छाओं को ज्यादा से ज्यादा बढ़ा लेना होता है।
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जीवन में दुखाभास और सुखाभास सभी प्राणियों को होता है। अतः यह कथन सत्य है कि सुखाभास सांसारिक और इन्द्रियों को सुख मानना होता है लेकिन दुखाभास का मुख्य कारण दुखों को ओढ़ लेना और इच्छित वस्तु का नहीं मिलना। अतः दुःखी का कारण इच्छाओं को ज्यादा से ज्यादा बढ़ा लेना होता है।