पर्वों पर देव नंदीश्वर-द्वीप में पूजा करने अपने विमानों को छोड़कर इसलिये चले जाते हैं क्योंकि विमानों में भोगविलास चलते रहने से इतनी शुद्धता नहीं रहती है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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देव(भगवान)हमेशा परमसुख में लीन रहते हैं, या जन्म मरण रुप संसार से मुक्त हो गए है और धर्म के विधाता होते हैं।
देवता हमेशा इन्दिय सुखो में मग्न रहते हैं।
नन्दीश्वर द्वीप—यह मध्यलोक में है, आठवां द्वीप है।यहां प़तिवर्ष देवो द्वारा अष्टान्हिका पर्व में अभिषेक पूर्वक नन्दीश्वर आदि महा पूजा होती है।अतः पर्वो पर नन्दीश्वर-द्वीप में पूजा करने हेतू विमानो को छोड़कर चले जाते हैं क्योकि विमानो में भोगविलास में शुद्वता नहीं रहती है, इसलिये शुद्वता हेतू विमान छोड कर जाते हैं।अष्टान्हिका पर्व में सभी को शुद्वता रखना परम आवश्यक होता है।
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देव(भगवान)हमेशा परमसुख में लीन रहते हैं, या जन्म मरण रुप संसार से मुक्त हो गए है और धर्म के विधाता होते हैं।
देवता हमेशा इन्दिय सुखो में मग्न रहते हैं।
नन्दीश्वर द्वीप—यह मध्यलोक में है, आठवां द्वीप है।यहां प़तिवर्ष देवो द्वारा अष्टान्हिका पर्व में अभिषेक पूर्वक नन्दीश्वर आदि महा पूजा होती है।अतः पर्वो पर नन्दीश्वर-द्वीप में पूजा करने हेतू विमानो को छोड़कर चले जाते हैं क्योकि विमानो में भोगविलास में शुद्वता नहीं रहती है, इसलिये शुद्वता हेतू विमान छोड कर जाते हैं।अष्टान्हिका पर्व में सभी को शुद्वता रखना परम आवश्यक होता है।