देव, मनुष्य/त्रियंचों की तरह अद्धकर्म नहीं करते, उन्हें नाखून भी काटने की ज़रूरत नहीं ।
देवों के योग्य क़ियायें पूर्ण होकर ही देव गति मिलती है।देव सदा इंद्रिय -सुखों मे मग्न रहते हैं।
Can meaning of “उन्हें खून भी काटने की ज़रूरत नहीं “, be explained please?
“खून” सही नहीं था, “नाखून” होना चाहिए था। सुधार दिया। आशीष।
Can meaning of “अद्धकर्म”, be explained please?
वो सब क्रियायें जिनमें हिंसा विद्यमान रहती है।
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5 Responses
देवों के योग्य क़ियायें पूर्ण होकर ही देव गति मिलती है।देव सदा इंद्रिय -सुखों मे मग्न रहते हैं।
Can meaning of “उन्हें खून भी काटने की ज़रूरत नहीं “, be explained please?
“खून” सही नहीं था,
“नाखून” होना चाहिए था।
सुधार दिया।
आशीष।
Can meaning of “अद्धकर्म”, be explained please?
वो सब क्रियायें जिनमें हिंसा विद्यमान रहती है।