द्रव्याणि पांचवें अध्याय का दूसरा सूत्र है।
पहला सूत्र कायवान अजीवों का। तीसरा “जीवाश्च”। बीच का यह (दूसरा) सूत्र Bridge है, पहले तथा तीसरे के लिये यानी अजीव और जीव दोनों द्रव्य हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 5/3)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने द़याणि को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने द़याणि को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।