धर्म संकटों को समाप्त नहीं करता, उन्हें सहने की शक्ति देता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
अपने पापों को स्वीकार कराता है/ पापों का एहसास कराता है। आगे पापों की पुनरावृत्ति रोकता है।
चिंतन
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने धर्म का कार्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। धर्म के कार्य करने से पापों को नष्ट करने का प़यास करना चाहिए ताकि जीवन पुण्यमय बन सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने धर्म का कार्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। धर्म के कार्य करने से पापों को नष्ट करने का प़यास करना चाहिए ताकि जीवन पुण्यमय बन सकता है।