धर्म / धन
कठिन क्या है धर्म करना या धन कमाना ?
प्राय: उत्तर मिलता है… धर्म करना कठिन है।
पर कभी सोचा ! धन कमाने में कितना दिमाग लगता है, कितनी मायाचारी करनी पड़ती है, कितने अच्छे बुरे लोगों से व्यवहार करना पड़ता है। जबकि धर्म करने वालों में इसका उल्टा होता है।
कारण एक है… जो हम कर लेते हैं वह हमको सरल लगता है जैसे पुरुष बाहर के काम करता है, उसे रोटी बनाना बहुत कठिन लगता है।
धर्म करने की भावना बनते ही आनंद और शांति आने लगती है, करते समय भी, करने के बाद भी बहुत देर तक। क्योंकि यह ख़ुद का काम लगता है।
आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (29 अक्टूबर)
One Response
आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने धर्म, धन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए धन भी अर्जित धर्म से ही जुडकर किया जाना परम आवश्यक है। धर्म बिना जीवन जीने का प़यास करना उचित नहीं है। अतः जीवन में धर्म से जुडकर आगे बढने का प़यास करना परम आवश्यक है।