धर्मध्यान / शुद्धता
पहले दो शुक्लध्यानों से शरीर इतना शुद्ध हो जाता है कि धातुऐं तो रहती हैं परन्तु निगोदिया जीव नहीं रहते।
धर्मध्यान से भी शरीर इतना शुद्ध हो जाता है कि शारीरिक/ मानसिक रोगों के कीटाणु भी समाप्त हो जाते हैं।
शुक्लध्यान में यदि तापमान 100° बढ़ता है तो धर्मध्यान से 10-20° नहीं बढ़ेगा क्या !
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी(जीवकांड-गाथा-200)
4 Responses
मुनि महाराज जी ने धर्मध्यान एवं शुद्धता के विषय में जो उदाहरण दिया गया वह पूर्ण सत्य है! जीवन में शुक्ल ध्यान तक पहुंचना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
‘धातुऐं’ se hum kya samjhen ?
खून, हड्डी आदि 7
Okay.