धैर्य / विवेक / दया
राजा को 3 मूर्तियाँ बहुत प्रिय थीं। सेवक से एक मूर्ति टूट गयी।
राजा ने मृत्युदंड दे दिया।
सेवक ने बाकी 2 मूर्तियाँ भी तोड़ दीं।
कारण ?
मूर्तियाँ तो किसी से भी/ कभी भी टूट सकती हैं, तब राजा 2 और सेवकों को फांसी देंगे।
राजा ने सेवक का धैर्य/ विवेक/ दया भाव देख, उसे माफ़ कर दिया।
(एन.सी.जैन- नौएडा)
4 Responses
श्री एस सी जैन ने धेर्य, विवेक एवं दया का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जैन धर्म में जो श्रावक धेर्य, विवेक एवं दया का जो पात्र रखता है , उसी के जीवन का कल्याण हो सकता है!
Is kahani me sevak ke ‘धैर्य’ ka kaise pata chalta
hai ?
मृत्युदंड की सजा के बाद भी उनके अंदर विवेक तथा दया रहना धैर्य का ही तो प्रतीक है।
Okay.