ध्यान
ध्यान के लिये –
1. शुभ Object का ज्ञान।
2. आत्मा पर श्रद्धान।
3. प्रत्याहार (अन्य Object पर से ध्यान हटाना)।
4. धारणा – शुद्ध आत्मा यानि भगवान का ध्यान।
सीधे सिद्ध भगवान का ध्यान तो कठिन सो उनके नाम “अर्हम्” का ऐसा चिंतन जैसा डरावनी फिल्म देखने के बाद हर समय वही वही दिखता है।
5. अब आत्म-ध्यान, पर पहले योग-ध्यान ज़रूरी।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि महाराज जी का ध्यान के लिए कथन सत्य है कि शुभ ओबजेक्ट का ज्ञान, आत्मा पर श्रद्धान, अन्य ओबजेक्ट से ध्यान हटाना, धारणा यानी शुद्ध आत्मा यानी भगवान का ध्यान, अतः आत्म ध्यान पर पहिले योग ध्यान जरुरी है!