ज़रूर कोई तो लिखता होगा…
कागज़ और पत्थर का भी नसीब…
वरना ये मुमकिन नहीं कि…
कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन जाये…
और…
कोई कागज रद्दी और कोई गीता बन जाये…!
🌷🌹(सुरेश)🌹🌷
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जीव और अजीव का नसीब कोई लिखता नहीं है बल्कि उसके कर्मों के आधार पर होता है। यदि जीव अजीव पुण्य शाली होता है तो पत्थर भगवान् बन सकते हैं और कागज भी रद्दी की जगह गीता भी बन जाती है।
अतः जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए जिससे वह पुण्य फल मिल सकता है।
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जीव और अजीव का नसीब कोई लिखता नहीं है बल्कि उसके कर्मों के आधार पर होता है। यदि जीव अजीव पुण्य शाली होता है तो पत्थर भगवान् बन सकते हैं और कागज भी रद्दी की जगह गीता भी बन जाती है।
अतः जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए जिससे वह पुण्य फल मिल सकता है।