निद्यति/निकाचित ऐसे जघन्य अपराध हैं,
जिनकी जमानत भी नहीं होती ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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2 Responses
निध्दत्ति और निकाचित—जीव के द्वारा बांधे गए कर्म का अपकर्षण, उत्कर्षण और संक्रमण होना संभव नहीं है वह दोनों कर्म होते हैं।यह कर्म बालकाल पूरा होने पर उदय में आकर अवश्य फल देते हैं।
यह दोनों कर्म जघन्य अपराध होते हैं जिनकी जमानत नहीं होती है बल्कि यह कर्म जीवन में फल अवश्य देते हैं।
अतः जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए जिससे कर्मों के फल से बच सकते हैं।
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निध्दत्ति और निकाचित—जीव के द्वारा बांधे गए कर्म का अपकर्षण, उत्कर्षण और संक्रमण होना संभव नहीं है वह दोनों कर्म होते हैं।यह कर्म बालकाल पूरा होने पर उदय में आकर अवश्य फल देते हैं।
यह दोनों कर्म जघन्य अपराध होते हैं जिनकी जमानत नहीं होती है बल्कि यह कर्म जीवन में फल अवश्य देते हैं।
अतः जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए जिससे कर्मों के फल से बच सकते हैं।
Very nice comparison to explain their meaning!!