निद्रा
निद्रा आने पर ग्लानि का भी भाव रहता है।
जैसे निद्रा आने पर मनपसंद भोजन, प्रिय बच्चों में भी रुचि नहीं रहती।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
निद्रा आने पर ग्लानि का भी भाव रहता है।
जैसे निद्रा आने पर मनपसंद भोजन, प्रिय बच्चों में भी रुचि नहीं रहती।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने निद़ा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निद़ा में सोने के अलावा कोई कार्य करना नहीं चाहिए।