बेल को सहारा मिलने पर ऊँचाइयाँ पा लेती है पर उस निमित्त से उतरती नहीं है।
सिर्फ मनुष्य ऐसा है जो निमित्त पाकर चढ़ता कम, उतरता ज्यादा है जैसे धन दौलत का दुरुपयोग।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बेल को सहारा मिलने पर ऊचाईयों पर पहुंचती है लेकिन उतरती नहीं ! दुनिया में मनुष्य ऐसे निमित्त पाकर चढता कम है, उतरता ज्यादा है जैसे धन दौलत का दुरूपयोग करता है! अतः सब कुछ का कल्याण करना हो धर्म निमित्त मिला है, उसका सदुपयोग करना चाहिए!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बेल को सहारा मिलने पर ऊचाईयों पर पहुंचती है लेकिन उतरती नहीं ! दुनिया में मनुष्य ऐसे निमित्त पाकर चढता कम है, उतरता ज्यादा है जैसे धन दौलत का दुरूपयोग करता है! अतः सब कुछ का कल्याण करना हो धर्म निमित्त मिला है, उसका सदुपयोग करना चाहिए!
ऊंचे ऊंचे जाइए,
ऊंचा रखिए सोच।
बेल समा छा जाइए
पर नीचे मत लौट ।।
ऊंचे ऊंचे जाइए,
ऊंचा रखिए सोच।
वेल समा छा जाइए
पर नीचे मत लोट।।