नियति / पुरुषार्थ
नियति मिथ्या नहीं यदि पुरुषार्थ के साथ उसे स्वीकारें तो।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
नियति मिथ्या नहीं यदि पुरुषार्थ के साथ उसे स्वीकारें तो।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
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4 Responses
Is post ka meaning thoda aur clarify karenge, please ?
बिना पुरुषार्थ के सिर्फ नियति को मानना ‘एकांत’ हुआ और ‘एकांत’, मिथ्यात्व है।
उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। नियति के लिए पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
Okay.