नौकरी
भगवान ने गृहस्थ के षटकर्मों में खेती, शिल्प, लेखनादि बताये हैं पर नौकरी नहीं बतायी ।
ये तो दासता है, इसी को अधम चाकरी कहा है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
भगवान ने गृहस्थ के षटकर्मों में खेती, शिल्प, लेखनादि बताये हैं पर नौकरी नहीं बतायी ।
ये तो दासता है, इसी को अधम चाकरी कहा है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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जैन धर्म में खेती के व्यवसाय को, श्रेष्ठ माना गया है, जबकि व्यापार को मध्यम माना गया है एवं नौकरी को निकृष्ट कार्य माना गया है ।आदिनाथ भगवान ने, खेती का उपदेश दिया गया था ।नौकरी दासता का प्रतीक है,जिसमें अपना विवेक नहीं लग सकता है एवं परमार्थ की ओर नहीं जा सकते हैं।अतः उचित होगा कि, नौकरी की ओर, ध्यान नहीं दिया जाए ।