परोपकार
मशाल बनें, जो स्वंय प्रकाशित होती है तथा दूसरों को भी प्रकाशित करती है ।
कम से कम, गीली लकड़ी ना बनें जो खुद भी प्रकाशित नहीं हो पाती और दूसरों की आंखों में प्रकाश की जगह धुंआ देती है ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
मशाल बनें, जो स्वंय प्रकाशित होती है तथा दूसरों को भी प्रकाशित करती है ।
कम से कम, गीली लकड़ी ना बनें जो खुद भी प्रकाशित नहीं हो पाती और दूसरों की आंखों में प्रकाश की जगह धुंआ देती है ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
2 Responses
To set an example for others is a great thing and require lot of efforts and awareness.
If we are able to do this then very well and if not then at least we can try that nobody will be hurt by our action and words.
Great,
universal truth
need TAPASAYA.
HariBol.