यह कथन सत्य है कि गति और आयु,कर्म हैं, जबकि पर्याय अवस्था है।पर्याय द़व्य की अवस्था को कहते हैं। गति जिस कर्म के उदय से जीव, मनुष्य,तिर्यन्च,देवता और नारकीय को प्रदान करता है।आयु जिस कर्म के उदय से जीव मनुष्य आदि भव में बंधा रहता है। Reply
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यह कथन सत्य है कि गति और आयु,कर्म हैं, जबकि पर्याय अवस्था है।पर्याय द़व्य की अवस्था को कहते हैं। गति जिस कर्म के उदय से जीव, मनुष्य,तिर्यन्च,देवता और नारकीय को प्रदान करता है।आयु जिस कर्म के उदय से जीव मनुष्य आदि भव में बंधा रहता है।