“मैं पापी हूँ/ मायावी हूँ”, इसकी तो माला फेरनी चाहिये।
आँखों से आँसू आ जायें/ पश्चाताप हो जायेगा (पाप धुल जायेंगे)।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि मैं पापी हूँ, मयावी हूँ, इसकी माला फेरनी चाहिए! अगर आंखों में आंसू आ जावे तो पश्चाताप हो जावेगा, पाप धुल सकते हैं ! अतः जीवन में जब कोई पाप हो जावे तो पश्चाताप अवश्य करना परम ताकि पाप का निराकरण हो सकता है!
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि मैं पापी हूँ, मयावी हूँ, इसकी माला फेरनी चाहिए! अगर आंखों में आंसू आ जावे तो पश्चाताप हो जावेगा, पाप धुल सकते हैं ! अतः जीवन में जब कोई पाप हो जावे तो पश्चाताप अवश्य करना परम ताकि पाप का निराकरण हो सकता है!