पंडित जी… दुर्भाग्य, मूलाचार की मूल पांडुलिपि जर्मनी में है, हम सुरक्षा नहीं कर पाये।
आचार्य श्री… कोई बात नहीं, वहाँ द्रव्य-लिपि हो सकती है, यहाँ तो बहुत सारी भाप-लिपियाँ (मुनि) मौजूद हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि मूलाचार की मूल पाडुलिपि जर्मनी में है, लेकिन सुरक्षा नहीं हो सकी थी! लेकिन यह सत्य है कि आचार्य या मुनि के पास भाव लिपि है! अतः मुनियों में भावना लिपि उपलब्ध है, उससे ही सभी जीवों का कल्याण हो सकता है!
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि मूलाचार की मूल पाडुलिपि जर्मनी में है, लेकिन सुरक्षा नहीं हो सकी थी! लेकिन यह सत्य है कि आचार्य या मुनि के पास भाव लिपि है! अतः मुनियों में भावना लिपि उपलब्ध है, उससे ही सभी जीवों का कल्याण हो सकता है!