सुपात्र को दिया दान, उन जैसा बनाता है, अपात्र को दिया दान पीछे से सहारा/सहायता देता है ।
जैसे भगवान पार्श्वनाथ ने सबसे बड़े पापी/जिसको देखते ही सब मारने लगते हैं (सांप) को बचाया; उसी ने पार्श्वनाथ का उपसर्ग दूर किया ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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दान का तात्पर्य परोपकार से अपनी वस्तु का अर्पण करना कहलाता है। दान अपात्र एवं सुपात्र को भी देते हैं, लेकिन उसका फल उसी प्रकार मिलता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सुपात्र को दिया दान, उन जैसा बनाता है, लेकिन अपात्र को दिया दान पीछे से सहारा या सहायता देता है। भगवान् पार्श्वनाथ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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दान का तात्पर्य परोपकार से अपनी वस्तु का अर्पण करना कहलाता है। दान अपात्र एवं सुपात्र को भी देते हैं, लेकिन उसका फल उसी प्रकार मिलता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सुपात्र को दिया दान, उन जैसा बनाता है, लेकिन अपात्र को दिया दान पीछे से सहारा या सहायता देता है। भगवान् पार्श्वनाथ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।