पाप / व्यसन

पाप में लाभ न दिखे फिर भी पाप करना व्यसन है।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का पाप एवं व्यसन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जितने भी पाप है वह सब व्यसन होते हैं! अतः जीवन का कल्याण करना है तो पापों को छोडने का प़यास करना चाहिए!

  2. वर्गीकरण होता नहीं,
    कैसा भी हो पाप।
    लाभ हो ,या हानी हो,
    पाप सदा है पाप।।

  3. व्यवसाय के उद्देश्य से किया गया पाप (हिंसा) व्यसन में नहीं आयेगा ?

    1. पाप तो रहेगा ही, पर व्यवसाय में लाभ involved रहता है इसलिए व्यसन में नहीं आयेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

February 10, 2023

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930