पुण्य दो प्रकार –
1. संसार बढ़ाने वाला
2. संसार घटाने वाला । इसकी पृष्ठभूमि में ही अच्छे/सच्चे विचार आयेंगे/मुनि बनेंगे ।
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पुण्य—जो आत्मा को पवित्र करता है या जिससे आत्मा पवित्र होती है उसे कहते हैं अथवा जीव के दया, दान पूजा आदि रुप में शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं।
पुण्य दो प्रकार के होते हैं 1संसार बढ़ाने वाला
2संसार घटाने वाला, इसकी पृष्ठभूमि में ही अच्छे सच्चे विचार आवेगे और मुनि बन सकते हैं।
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पुण्य—जो आत्मा को पवित्र करता है या जिससे आत्मा पवित्र होती है उसे कहते हैं अथवा जीव के दया, दान पूजा आदि रुप में शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं।
पुण्य दो प्रकार के होते हैं 1संसार बढ़ाने वाला
2संसार घटाने वाला, इसकी पृष्ठभूमि में ही अच्छे सच्चे विचार आवेगे और मुनि बन सकते हैं।