पुष्पवृष्टि
क्या केवलियों पर पुष्पवृष्टि भोगांतराय कर्म के क्षय से होती है ?
सामान्य केवली के कल्याणकों पर भी वृष्टि होती है, पर कुछ समय के लिये; तीर्थंकरों के लगातार।
कारण ?
तीर्थंकरों के तीर्थकर प्रकृति + शरीर नामकर्म कर्मोदय से लगातार पुष्पवृष्टि होती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- 2/5)
4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने पुष्पवृष्टि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
That means केवलियों पर पुष्पवृष्टि भोगांतराय कर्म के क्षय से nahi होती ? Clarify karenge, please ?
भोगांतराय कर्म-क्षय तो दोनों का पूर्ण/ बराबर होता है । पर नामकर्म में फर्क होता है । तीर्थंकर प्रकृति तो सामान्य केवली के होती ही नहीं है ।
Okay.