प्रतियोगिता के लिये किया गया ज्ञान स्वाध्याय में नहीं आता क्योंकि प्रतियोगिता में आदर भाव नहीं होता ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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प़तियोगिता के लिए किया गया ज्ञान स्वाध्याय की श्रेणी में नहीं आता है, क्योकि यह सब परीक्षा में पास या फैल होने के लिए होता है।स्वाधायाय अपने आत्मकल्याण के लिए किया जाता है, वही सार्थक होता है।
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प़तियोगिता के लिए किया गया ज्ञान स्वाध्याय की श्रेणी में नहीं आता है, क्योकि यह सब परीक्षा में पास या फैल होने के लिए होता है।स्वाधायाय अपने आत्मकल्याण के लिए किया जाता है, वही सार्थक होता है।