चरित्र वृक्ष के समान है,
लेकिन प्रतिष्ठा उसकी छाया* है..
🙏 मंजू 🌳
* पापोदय से यदि बादल छा जांय तो छाया नहीं पड़ेगी,
लेकिन चरित्र रूपी वृक्ष यदि खड़ा रहा/अड़ा रहा तो प्रतिष्ठा रूपी छाया आज नहीं तो कल उसके आसपास छा ही जायेगी,जब पापोदय के बादल छटेंगे ।
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यह कथन सत्य है कि चारित्र वृक्ष के समान है लेकिन प़तिष्ठा उसकी छाया है।अतः पापोदय से बादल छा जावे तो छाया नहीं पड़ेगी लेकिन यदि चारित्र रुपी वृक्ष खड़ा रहा तो प़तिष्ठा रुपी छाया आज नहीं तो कल उसके आसपास छा ही जावेगी, जब पापोदय के बादल छटेंगे।जीवन में चारित्र का पालन करना चाहिए ताकि प़तिष्ठा कायम रह सकती है।
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यह कथन सत्य है कि चारित्र वृक्ष के समान है लेकिन प़तिष्ठा उसकी छाया है।अतः पापोदय से बादल छा जावे तो छाया नहीं पड़ेगी लेकिन यदि चारित्र रुपी वृक्ष खड़ा रहा तो प़तिष्ठा रुपी छाया आज नहीं तो कल उसके आसपास छा ही जावेगी, जब पापोदय के बादल छटेंगे।जीवन में चारित्र का पालन करना चाहिए ताकि प़तिष्ठा कायम रह सकती है।