भगवान का दोस्त
तपती सड़क पर एक बच्चा नंगे पैर चने बेच रहा था। एक व्यक्ति को दया आयी उसने चप्पल दिलवा दी।
आंसू भरी आंखों से बच्चे ने पूछा – क्या आप भगवान हैं ?
नहीं।
तो भगवान के दोस्त हो ?
ऐसा क्यों पूछ रहे हो ?
कल ही तो मैंने भगवान से चप्पल के लिये प्रार्थना की थी।
व्यक्ति सोचने लगा – भगवान तो बन नहीं सकता, भगवान का दोस्त बनना आसान है, सस्ता भी।
(अरुणा)
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भगवान् का सच्चा दोस्त वही होता है जो भगवान् पर श्रद्धा एवं समर्पण करता है। भगवान् आपको कुछ नहीं दे सकते हैं, भगवान् की भक्ति करने पर जीव को शक्ति प्रदान होती है इससे सुख दुःख में समता भाव रख सकते हैं।