भगवान/सेवक
किसी कम्पनी का मालिक आपको किसी बड़े इनाम की घोषणा करता है या आपकी पदोन्नती करता है तो उसका आदेश तो मालिक खुद नहीं निकालता बल्कि अपने किसी सेवक से दिलवाता है ।
तो हम मालिक का अहसान मानते हैं या उस सेवक का ?
ऐसे ही भगवान का अहसान मानें/उनको दिन रात याद करें/उनकी पूजा करें, उनके सेवकों की नहीं ।
चिंतन
3 Responses
let that order come
what is the harm
thanking both
the master & the sevak
Harm is – when we start giving MORE importance to sevaks.
true