भेद-विज्ञान
आचार्य श्री अमृतचंद स्वामी ने कहा है → भेद-विज्ञान मोक्ष/ कल्याण का कारण है और इसका अभाव संसार/ अकल्याण का कारण है।
एक महिला ने सुंदर से लोटे से सहेली के हाथ धुलाये।
सहेली → अरे ! ये तो मेरा है, देखो नाम भी लिखा है।
भेद-विज्ञान वस्तु के असली स्वरूप को प्रकाशित कर देता है। बीमारी का पता लगने पर ठीक होना शुरू हो जाता है।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
3 Responses
ब़ं डाॅ नीलेश भैया जी ने भेद विज्ञान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए भेद विज्ञान को समझकर एवं श्रद्धा करना परम आवश्यक है।
Mahila ka jo example hai use thoda aur clarify karenge, please ?
जब पानी पिलाने वाली महिला को पता लगा कि यह लोटा मेरा नहीं है, पीने वाली महिला का है तो सोच एकदम बदल गया ना ! अपना मान रही थी, समझ आया अपनापन निकल गया।
ऐसे ही हम जब अपनों को पराया मानने लगते हैं कि आत्मा हैं, हम शरीर मान रहे थे। तो हमारा कल्याण/ मोक्ष मार्ग प्रशस्त नहीं होगा क्या ?