मन:स्थिति निर्मल है तो परिस्थिति क्या करेगी !
परिस्थिति कर्माधीन है, मनःस्थिति स्वाधीन ।
परिस्थिति बदलने में समय लगता है,
मनःस्थिति बदलने में क्षण मात्र ।
(मंजू)
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उक्त कथन सत्य है कि परिस्थिति कर्माधीन है जबकि मनःस्थिति स्वाधीन है। इसलिए परिस्थिति बदलने में समय लगता है, जबकि मनःस्थिति बदलने में क्षण भर में बदल सकतीं हैं। जीवन में प़तेक व्यक्ति को मन पर नियंत्रण रखना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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उक्त कथन सत्य है कि परिस्थिति कर्माधीन है जबकि मनःस्थिति स्वाधीन है। इसलिए परिस्थिति बदलने में समय लगता है, जबकि मनःस्थिति बदलने में क्षण भर में बदल सकतीं हैं। जीवन में प़तेक व्यक्ति को मन पर नियंत्रण रखना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।