मनुष्य / पशु
पशु के भय, आहार, मैथुन प्रकट होते हैं यानि कहीं भी/ कभी भी।
विडम्बना यह है कि मनुष्य भी आज यही कर रहा है। उन्हीं की तरह पाप करने में संकोच नहीं करता।
डारविन ने तो कहा था कि मनुष्य पशु से बना है पर आज दिख रहा है कि मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रहा है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि महाराज जी ने मनुष्य एवं पशु की तुलना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! मनुष्य तो पशु से बना है लेकिन आजकल मनुष्य पशुता की ओर बढ रहा है, यह उचित नहीं है! आजकल मनुष्य को धर्म का रास्ता अपनना परम आवश्यक है ताकि पशु तो मत बनो, बल्कि मनुष्य को मोक्ष के लिए वैराग्य की भावना कायम रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!