सूतक दाह-संस्कार के दिन से गिना जाता है ।
मरण के बाद 6 घंटे से ज्यादा नहीं रखना चाहिये पर रात्रि में संस्कार नहीं करते (बिजली वाले में रात में भी कर सकते हैं)
मुनियों के पैर के अंगूठे में कट कर देते हैं ताकि ऊपरी-बाधा प्रवेश ना कर जाये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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यह कथन सही है कि मरण के 6 घंन्टे तक मरण संस्कार होना चाहिए और रात्री में संस्कार नहीं करना चाहिए। सूतक का समय दाह संस्कार के बाद प़ारम्भ हो जाता है। सूतक में देव पूजा नहीं कर सकते हैं। मुझे यह ज्ञात नहीं है कि।मुनियो के पैर के अंगूठे में कट कर देते हैं लेकिन दाह संस्कार में उनको सीधे पालकी में बैठालकर ले जाते हैं।मुनियो के सूतक का उल्लेख नहीं है।
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यह कथन सही है कि मरण के 6 घंन्टे तक मरण संस्कार होना चाहिए और रात्री में संस्कार नहीं करना चाहिए। सूतक का समय दाह संस्कार के बाद प़ारम्भ हो जाता है। सूतक में देव पूजा नहीं कर सकते हैं। मुझे यह ज्ञात नहीं है कि।मुनियो के पैर के अंगूठे में कट कर देते हैं लेकिन दाह संस्कार में उनको सीधे पालकी में बैठालकर ले जाते हैं।मुनियो के सूतक का उल्लेख नहीं है।